आपातकाल के बाद चुनाव और शाह जाँच आयोग

आज हम जानेंगे कि आपातकाल के बाद चुनाव किस प्रकार हुए और आपातकाल के बाद की राजनीति कैसी रही? जनता पार्टी की सरकार का शासन? शाह जाँच आयोग?

आपातकाल के बाद चुनाव- 6th लोकसभा चुनाव 

आपातकाल के बाद चुनाव

  • 18 महीने के आपातकाल के बाद 1977 के जनवरी मे, सरकार ने चुनाव कराने का फैसला किया।

  • सभी नेताओ और राजनीतिक कार्यकर्ताओ को जेल से रिहा कर दिया गया।

  • 1977 के मार्च मे चुनाव हुए।

  • 1977 मे विपक्षी पार्टियों ने मिलकर ‘जनता पार्टी‘ का गठन किया।

  • जनता पार्टी का नेतृत्व जयप्रकाश नारायण ने किया।

  • कांग्रेस नेता जगजीवन राम ने ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी’ दल का गठन किया। ये दल बाद मे जनता पार्टी मे शामिल हो गया।

  • जनता पार्टी ने आपातकाल के दौरान की गयी ज्यादतियों का चुनाव-प्रचार मे मुद्दा बनाया।

  • विपक्ष ने इस चुनाव मे ‘लोकतंत्र बचाओ‘ के नारे पर चुनाव लड़ा।

चुनाव परिणाम

  • इस चुनाव के नतीजो ने सबको चौका दिया क्योकि आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस लोकसभा का चुनाव हार गयी।

  • कांग्रेस को लोकसभा मे केवल 154 सीटे और 35% से भी कम वोट मिले।

  • जनता पार्टी और उसके साथी दलो को लोकसभा की कुल 542 सीटे मे से 330 सीटे मिली।

  • अकेले जनता पार्टी को ही 295 सीटे मिली।

  • कांग्रेस को बिहार, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब मे एक भी सीट नहीं मिली।

  • राजस्थान और मध्यप्रदेश मे उसे केवल एक-एक सीट मिली।

  • इन्दिरा गांधी रायबरेली से और उनके पुत्र संजय गांधी अमेठी से चुनाव हार गए।

जनता पार्टी की सरकार

आपातकाल के बाद चुनाव -जनता सरकार

  • इस सरकार मे मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री तथा चौधरी चरण सिंह (भारतीय लोकदल के प्रमुख) और जगजीवन राम (कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी के संस्थापक) दो उपप्रधानमंत्री बने। 

शाह जाँच आयोग

  • जनता पार्टी की सरकार ने मई 1977 मे शाह जाँच आयोग नियुक्त किया।

  • भारत के पूर्व न्यायाधीश जे. सी. शाह को इसका अध्यक्ष बनाया गया।

  • कार्य– 25 जून, 1975 को घोषित आपातकाल के दौरान की गयी कार्यवाई, सत्ता के दुरुपयोग जैसे कई आरोपो की जाँच करना।

  • आयोग ने विभिन्न साक्ष्यों की जाँच की और हज़ारो गवाहो के बयान दर्ज किए।

  • इन्दिरा गांधी भी आयोग के सामने उपस्थित हुई लेकिन उन्होने किसी भी सवाल का जवाब देने से मना कर दिया।

  • भारत सरकार ने आयोग की सभी रिपोर्टों को स्वीकार किया।

  • ये रिपोर्ट संसद के दोनों सदनो मे विचार के लिए रखी गयी।

शाह आयोग द्वारा एकत्र किए गए प्रामाणिक तथ्य-

  • आपातकाल की घोषणा का निर्णय केवल प्रधानमंत्री का था।

  • समाचार पत्रो के कार्यालयों की बिजली बंद करना पूरी तरह से गलत था।

  • प्रधानमंत्री के निर्देशों पर हुई विपक्षी नेताओ की गिरफ्तारी गलत थी।

  • मीसा (MISA-Maintenance of Internal Security Act) का दुरुपयोग किया गया। मीसा के अंतर्गत कानून व्यवस्था बनाये रखने वाली संस्थाओ को बहुत अधिकार दे दिये गए थे।

  • कुछ लोगो ने आधिकारिक पद पर ना होते हुए भी सरकारी काम-काज मे दखल दिया।

जनता सरकार का गिरना

  • इस पार्टी मे किसी दिशा, नेतृत्व और साझे कार्यक्रम के अभाव के कारण यह सरकार 18 महीनो मे ही गिर गयी।

  • इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चरण सिंह के नेतृत्व मे सरकार बनी।

  • लेकिन मात्र 4 महीने बाद ही कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और चरण सिंह की सरकार भी गिर गयी।

  • 1980 मे फिर से लोकसभा चुनाव हुए जिसमे कांग्रेस ने 353 सीटे हासिल करके अपने विरोधियो को करारी शिकस्त दी।

1977-79 के चुनावो मे लोकतांत्रिक राजनीति ने एक और सबक सिखाया- सरकार अगर अस्थिर हो और उसके भीतर कलह हो, तो मतदाता ऐसी सरकार को दंड जरूर देते है।