शॉक थेरेपी क्या है?

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।

सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।

यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी।

👉 विशेषताएँ

  • देश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।
  • देश मे निजी स्वामित्व का होना।
  • राज्य की सम्पदा का निजीकरण होना।
  • ‘सामूहिक फार्म’ को ‘निजी फार्म’ मे बदलना।
  • पूंजीवादी पद्धति से खेती करना।
  • पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाने के लिए वित्तीय खुलापन, मुद्राओ की आपसी परिवर्तनीयता और मुक्त व्यापार की नीति महत्वपूर्ण मानी गयी।
  • पश्चिमी देशो की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ाव।

👉 कारण

  • आर्थिक रूप से पिछडेपन के कारण : रूस आर्थिक रूप से पश्चिम के देशो से काफी पिछड़ चुका था, यहाँ की जनता इस बात को अच्छी तरह से जानती थी। जनता को लगता था कि साम्यवादी अर्थव्यवस्था ही इस पिछड़ेपन का कारण है।
  • भ्रष्टाचार के कारण : भ्रष्टाचार के बढ्ने के कारण सभी शक्तियां सरकार के हाथों में थी जिससे सरकारी कर्मचारी भ्रष्ठ हो गए और परिणामस्वरूप जनता की कठिनाइयां बहुत बढ़ गईं।
  • संसाधनो का गलत प्रयोग : सोवियत सरकार ने अधिकतर धन हथियारों की होड़ में खर्च किया जिससे कारण जनता की मूलभूत आवश्यकता पूरी नही हो सकीं और लोग साम्यवाद से घृणा करने लगे।
  • गोर्वचोब की नीतियाँ : गोर्बाचेव ने सुधार करने का प्रयास तो किया लेकिन साम्यवादी दल के नेता अपनी सत्ता और विशेष अधिकारो के कम होने के कारण खुश नहीं थे। वहाँ की जनता ने भी सुधारो की धीमी गति के कारण धीरज खो बैठा।
  • साम्यवादी दल की तानाशाही : सोवियत संघ में शासन की सभी शक्तियाँ साम्यवादी दल के पास थीं और अन्य दलों पर प्रतिबन्ध था जिसके कारण वहाँ एक दल की तानाशाही स्थापित हो गई।
  • सीमित नागरिक अधिकार : सोवियत संघ में विचार अभिव्यक्ति, धार्मिक स्वतंत्रता, राजनीतिक स्वतंत्रता और अन्य नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध था जिसके कारण आम जनता साम्यवाद के विरुद्ध हो गई।

👉  परिणाम

  • शॉक थेरेपी साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन का एक अच्छा तरीका साबित नहीं हुआ।
  • इसके कारण पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तहस-नहस हो गयी।
  • रूस का औद्योगिक ढाँचा नष्ट हो गया।
  • लगभग 90% उद्योगो को निजी कंपनियों को बेचा गया इसे “इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल” कहा जाता है। क्योकि इसमे सभी जरूरी उद्योगो को औने-पौने दामो और बहुत ही कम दामो मे बेचा गया।
  • रूसी मुद्रा रूबल मे भारी गिरावट हो गयी और कीमते बहुत ज्यादा बढ़ गयी जिसके करण लोगो की जमापूंजी समाप्त हो गयी।
  • सामूहिक खेती प्रणाली के खत्म होने के कारण खाद्यान सुरक्षा समाप्त हो गयी जिसके कारण खाद्यान आयात करना पड़ा।
  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) मे कमी देखी गयी।
  • गरीब-अमीर के बीच अंतर बढ़ गया। समाज कल्याण की पुरानी व्यवस्था समाप्त होने के कारण गरीबी मे वृद्धि हुई।
  • ‘माफ़िया वर्ग’ का उदय हुआ। जिनके द्वारा अधिकतर आर्थिक गतिविधियों पर नियंत्रण कर लिया गया।
  • शॉक थेरेपी के कारण लोकतांत्रिक संस्थाओ की स्थापना की तरफ ध्यान नहीं दिया गया।
  • संविधान जल्दबाज़ी मे तैयार किया गया और इससे संसद अपेक्षाकृत कमज़ोर संस्था रह गयी।
  • साथ ही साथ राष्ट्रपति को अधिक शक्तियाँ देने के कारण सत्तावदी राष्ट्रपति शासन हो गया।
  • तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने पहले 10 वर्ष तक अपने आप को इस पद के लिए बहाल किया और इसके बाद इस समय-सीमा को 10 सालो के लिए और बढ़ा दिया।
  • शॉक थेरेपी से रूस के आधे बैंक और वित्तीय संस्थान दिवालिया हो गए।

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4 thoughts on “शॉक थेरेपी क्या है?”

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद किरण इंफॉर्मेशन डॉट कॉम को तहे दिल से आपके कार्य को सलाम करता हूं सौरभ पांडे

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