सूचना का अधिकार आंदोलन

आज हम जानेंगे कि सूचना का अधिकार आंदोलन कब और क्यो शुरू हुआ? आंदोलन का नेतृत्व किसने किया और आंदोलन की माँगे और परिणाम क्या रहे?

सूचना का अधिकार आंदोलन

  • इस आंदोलन की शुरुआत 1990 मे हुई थी।
  • आंदोलन का नेतृत्व मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) ने किया।
  • आंदोलन की शुरुआत राजस्थान के दौसा जिले की भीम तहसील मे हुई।

सूचना के अधिकार आंदोलन का कारण & माँगे

  • राजस्थान मे काम कर रहे इस संगठन (MKSS) ने सरकार के सामने यह माँग रखी कि अकाल राहत कार्य और मजदूरों को मिलने वाले वेतन के रेकॉर्ड का सार्वजनिक खुलासा किया जाए।
  • इस आंदोलन के तहत ग्रामीणो ने प्रशासन से अपने वेतन और भुगतान के बिल उपलब्ध कराने की माँग की।
  • लोगों का मानना था कि उन्हें दी गयी मजदूरी मे हेरा-फेरी हुई थी।
  • पहले 1994 और उसके बाद 1996 मे मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) ने जन-सुनवाई का आयोजन किया और प्रशासन को इस मामले मे अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा।

आंदोलन के परिणाम

  • सूचना के अधिकार आंदोलन के दबाव मे सरकार को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम मे संशोधन करना पड़ा।
  • नए कानून के तहत जनता को अब पंचायत के दस्तावेज़ों कि प्रतिलिपि प्राप्त करने की अनुमति मिल गयी।
  • संशोधन के परिणामस्वरूप पंचायतों के लिए बजट, लेखा, खर्च, नीतियों और लाभार्थियों के बारे मे सार्वजनिक घोषणा करना अनिवार्य कर दिया।
  • 1996 मे MKSS ने दिल्ली मे सूचना के अधिकार को लेकर राष्ट्रीय समिति का गठन किया।इसका लक्ष्य सूचना के अधिकार को राष्ट्रीय अभियान का रूप देना है।
  • 2002 मे “सूचना की स्वतंत्रता” नाम का विधेयक पारित हुआ था।
  • लेकिन यह एक कमजोर अधिनियम था और इसी कारण इसे अमल मे नहीं लाया गया।
  • सन 2004 मे “सूचना के अधिकार” विधेयक को सदन मे रखा गया
  • सूचना के अधिकार आंदोलन के दबाव मे सरकार को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम मे संशोधन करना पड़ा।
  • नए कानून के तहत जनता को अब पंचायत के दस्तावेज़ों कि प्रतिलिपि प्राप्त करने की अनुमति मिल गयी।
  • संशोधन के परिणामस्वरूप पंचायतों के लिए बजट, लेखा, खर्च, नीतियों और लाभार्थियों के बारे मे सार्वजनिक घोषणा करना अनिवार्य कर दिया।
  • 1996 मे MKSS ने दिल्ली मे सूचना के अधिकार को लेकर राष्ट्रीय समिति का गठन किया।इसका लक्ष्य सूचना के अधिकार को राष्ट्रीय अभियान का रूप देना है।
  • 2002 मे “सूचना की स्वतंत्रता” नाम का विधेयक पारित हुआ था।
  • लेकिन यह एक कमजोर अधिनियम था और इसी कारण इसे अमल मे नहीं लाया गया।
  • सन 2004 मे “सूचना के अधिकार” विधेयक को सदन मे रखा गया।
  • जून 2005 मे इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल हुई।