जयप्रकाश नारायण

आज हम जानेंगे कि जयप्रकाश नारायण का भारतीय राजनीति मे क्या योगदान था? उनके प्रमुख सिद्धान्त क्या थे? और सम्पूर्ण क्रांति क्या थी?

जयप्रकाश नारायण- जेपी

जयप्रकाश नारायण का भारतीय राजनीति मे योगदान 

  • जयप्रकाश नारायण सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक है।

  • 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के नायक रहे।

  • नेहरू के उत्तराधिकारी के रूप मे देखे गए लेकिन इन्होने नेहरू मंत्रिमंडल मे शामिल होने से इंकार कर दिया।

  • 1955 मे सक्रिय राजनीति छोड़ी।

  • भूदान आंदोलन के एक सक्रिय नेता रहे।

  • नागालैंड के नागा विद्रोहियो से सुलह के लिए बातचीत की।

  • इन्होने कश्मीर मे शांति के लिए प्रयास भी किए।

  • जेपी ने ही चंबल के डकैतो से आत्मसमर्पण कराया था।

  • बिहार मे हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के प्रमुख नेता।

  • ये आपातकाल के विरोध के प्रतीक बन गए थे।

  • यह जनता पार्टी के गठन के प्रेरणास्रोत भी रहे।

जयप्रकाश नारायण के प्रमुख योगदान 

जया प्रकाश नारायण को तीन प्रमुख योगदानों के लिए जाना जाता है:-

  1. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई – जय प्रकाश नारायण आजादी के बाद के भारत में पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने विशेष रूप से गुजरात और बिहार में युवाओं की भागीदारी के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया।

  2. साम्यवादी समाजवाद सिद्धांत – साम्यवादी समाजवाद का उनका सिद्धांत भारत को समुदायों के एक समाज के रूप में देखता है, जिसमें तीन प्रमुख परतें शामिल हैं, जैसे समुदाय, क्षेत्र और राष्ट्र और ये सभी एक साथ सच्चे महासंघ के उदाहरण के रूप में संयोजन करते हैं ।

  3. सम्पूर्ण क्रांति का चैंपियन होना। 

जयप्रकाश नारायण – सम्पूर्ण क्रांति

  • 1974 मे बिहार मे बढ़ती हुई महंगाई, बेरोज़गारी, खाद्यान संकट और भ्रष्टाचार आदि को लेकर छात्र आंदोलन चल रहा था।

  • इन्होंने जयप्रकाश नारायण को आंदोलन मे शामिल होने का बुलावा भेजा। मुख्यतः छात्रो ने उनको आंदोलन की अगुवाई के लिए बुलावा भेजा था।

  • जेपी ने इस शर्त पर निमंत्रण स्वीकार किया कि आंदोलन अहिंसक रहेगा और खुद को सिर्फ बिहार तक ही सीमित नही रखेगा।

  • आंदोलन के चलते उन्होने बिहार की सरकार को बर्खास्त करने की मांग की।

  • फिर उन्होने ‘संपूर्ण क्रांति’ के आह्वान के माध्यम से व्यक्तिगत, समाज और राज्य के परिवर्तन की वकालत की ताकि “सच्चे लोकतंत्र” की स्थापना की जा सके।

  • सम्पूर्ण क्रांति के लिए उनके आह्वान में नैतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक और पारिस्थितिक परिवर्तनों को शामिल करने की मांग की गई ।

  • 1975 मे जेपी ने “संसद मार्च ” का नेतृत्व किया।

  • इसी सिलसिले मे उनको अनेक गैर- कांग्रेसी दलो का साथ मिला।